Tuesday, July 10, 2007


फ़िर आया है रफ़ी सा.
को याद करने का महीना
जुलाई का महीना बहुत तकलीफ़ देनेवाला है. इसी महीने में हमसे संगीतकार मदनमोहन,गायिका गीता दत्त बिछडीं और 31 जुलाई 1980 को रूख़सत हुए सर्वकालिक महान गायक मोहम्मद रफ़ी साहब.उनकी लोकप्रियता का अंदाज़ इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके जाने के सत्ताइस बरस बाद भी उन्हे भुलाया नहीं गया है और पूरी दुनिया में 31 जुलाई को किसी न किसी रूप में रफ़ी साहब की याद ताज़ा की जाती है. इन्दौर भी रफ़ी साहब को शिद्दत से याद करता है. इस साल रफ़ी साहब की याद का सिलसिला शुरू कर रही है...रंग-ए-महफ़िल. रफ़ी साहब की बरसी से तीन दिन पहले यानी 28 जुलाई इन्दौर के आनन्द मोहन माथुर सभागार (स्कीम 54) में रात आठ बजे मुंबई के ज्योतिराम अय्यर और अनिल वाजपेयी "गाता जाए बंजारा" शीर्षक से एक लाजवाब प्रस्तुति देंगे. रफ़ी साहब को याद करने का इससे बेहतर तरीक़ा और क्या हो सकता है कि उन्ही की कालजयी रचनाओं का रसपान किया जाए.कार्यक्रम आमंत्रितों के लिये है .इस ख़बर के साथ जो चित्र आप देख रहे हैं दर-असल वह भारतीय डाक तार विभाग द्वारा रफ़ी साहब के सम्मान में जारी किया गया डाक टिकिट है..ये सुरीला गुलूकार वाक़ई ऐसे कई सम्मानों का हक़दार है लेकिन यह सर्वविदित है कि रफ़ी साहब ने कभी किसी इनाम-इक़राम की परवाह नहीं की. 31 जुलाई को जिस प्यार से दुनिया उन्हे याद करती है ; वही किसी कलाकार का सच्चा सम्मान है. तो वक़ निकालिये और इस महीने में ज़रा ग़ौर से रफ़ी साहब को सुनिये..आप महसूस करेंगे रफ़ी साहब यहीं हैं...यहीं कहीं हैं.

Thursday, July 5, 2007



दुनियाभर में दमकती सुरीली कल्पना
वे पचास की हो गयीं हैं.मालवा में पं.कुमार गंधर्व को लाकर बसाने वाले कुमारजी के अनन्य सखा मामा साहेब मुजुमदार की यशस्वी पुत्री कल्पना झोकरकर इन्दौर के संगीत को अब विश्वव्यापी पहचान देने में मसरूफ़ हैं . कल्पना ने अपने जीवन के सुरीले पचास बसंत अभी 25 जून को पूरे कर लिये.पं.भीमसेन जोशी के संयोजन में आयोजित होने वाले पुणे के सवाई गंधर्व संगीत समारोह में दो बार शिरकत कर चुकीं कल्पना को पं.जोशी की दिवंगत पत्नी वत्सला जोशी के नाम से स्थापित सम्मान की प्रथम कलाकार होने का सौभाग्य भी प्राप्त है.कल्पना की ख़ासियत यह है कि वे शास्त्रीय,सुगम,उप-शास्त्रीय,मराठी नाट्य संगीत और चित्रपट संगीत ..सभी विधाओं में लाजवाब गातीं हैं .उन्हे आकाशवाणी की राष्ट्रीय प्रतियोगिता के सुगम एवं शास्त्रीय दोनों विधाओं में पुरस्कृत होने का फ़ख्र हासिल है. कल्पना झोकरकर ख़ूब गा रहीं हैं और इनदिनों उनका ज़्यादातर समय देश के बडे़ शहर में होने वाले जलसों में बीत रहा है.वे ख़ुद तो यश पा ही रहीं हैं शहर इन्दौर की सांगीतिक पहचान को भी विस्तार दे रहीं हैं.कल्पन झोकरकर के काम और नाम को देखकर इस बात की तसल्ली होती है कि यदि कोई किसी एक विधा में लगातार काम करने की ठान ले तो वाक़ई कुछ मुश्किल नहीं हालाँकि कल्पना बेहतर बता सकतीं हैं कि उन्हे इस मुकाम तक आने के लिये क्या क्या जद्दोजहद करनी पडी़ है.लेकिन यह निर्विवाद सत्य है कि तपस्या का प्रतिफ़ल तो मिलता ही है किसी को जल्दी किसी को पचास तक आते आते ...कल्पना झोकरकर का स्वर अब सुवर्ण स्वर बने ..इन्दौरनामा की दुआएं.
आप यदि कल्पना झोकरकर को अपनी शुभकामना देना चाहें तो kalapanazokarkar@yahoo.com पर ईमेल कर सकते हैं . कभी वक़्त मिले तो उनकी वेबसाइट की सैर करें:www.kalpanazokarkar.com


Wednesday, July 4, 2007

हलचल

ह ल च ल


- देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के कुलपति डाँ.भागीरथप्रसाद के भगीरथी प्रयासों और डाँ.बालकृष्ण पंजाबी के अथक के परिश्रम से 1857 के प्रथम स्वातंत्र्य संग्राम पर एकाग्र कार्यक्रम का एक भावपूर्ण आयोजन शहर में सम्पन्न हुआ.इस अवसर पर डाँ.पंजाबी द्वाराsसंपादित सुन्दर बुकलेट का विमोचन संपन्न हुआ.पूरे देश में संभवत: एकमात्र देवी अहिल्या विश्वविद्यालय ऐसा शिक्षा संस्थान है जिसने 1857
के महानायकों का स्मरण किया.

-कला और संस्कृति क्षेत्र में सक्रिय संस्था रस-भारती ने अपने कलाकार सदस्यों द्वारा आयोजित दो हास्य नाटकों की प्रस्तुति माथुर सभागार में संपन्न हुई.

-डाँक्टर्स के की पूर्व संध्या पर शहर के डाँक्टर्स के संगीत समूह स्पंदन ने रजनीगंधा शीर्षक से एक सुरीली प्रस्तुति देते हुए शहर के मानसून फ़िज़ाँ की खु़मारी बढा़ दी.

-बच्चों में रंगकर्म के ज़रिये रचनात्मता में इज़ाफ़ा करने वाली कलाकर्मी आशा कोटिया की पहली बरसी पर एक विशेष आयोजन संपन्न हुआ.बरसों बाद ग्रीष्म -अवकाश में बच्चे आशा कोटिया का बाल नाट्य शिविर हल्लागुल्ला ख़ामोश रहा.

-एक ख़ास मेहमान आख़िर आ ही गया जिससे ज़िन्दगी की सारी हलचल फीकी ही रहती है..वे गरजे भी और बरसे भी...स्वागत मेघराज.

-रंगकर्मी श्री तपन मुखर्जी चोटग्रस्त हुए अब सीएचएल अपोलो में स्वास्थ लाभ ले रहे हैं.दादा जल्दी ठीक हो जाइये..इन्दौरनामा की दुआएं

-युवा गायिका सारिका सिंह ज़ी-टीवी के मेगा शो संगीत का विश्वयुद्द (कार्यक्रम का नाम ही बेसुरेपन की आहट देता है) के फ़ायनल पहुँची..ग्लैमर की दुनिया का अनुभव तो अच्छा रहा लेकिन शो की प्रक्रिया से हताश नज़र आईं..इसी तरह का अनुभव वाँइस आँफ़ इंडिया में आँचल खुराना का भी रहा (मत जाओ न अब ऐसे शो’ज़ में)

-रेडियो मिर्ची के बाद एडलैब्स और दैनिक भास्कर के एफ़.एम रेडियो स्टेशन की जल्द शुरू होने जा रहे हैं...इन्दौर सुरीला होगा या करकश ? वक़्त ही तय करेगा लेकिन यह तय है कि शहर में विविध-भारती सहित चार स्टेशन्स की मौजूदगी इन प्रसारण संस्थानों के लिये ज़बरदस्त चुनौती होगी वि वे अपने आप को डिफ़रेंट साबित करें

-युवा गायक राजेश पँवार ने पिछले दिनों लाइफ़ ट्युन्स के बैनर तले एक संगीत प्रस्तुति देकर शहर के साइड रिदमिस्ट परेश राजपूत के लिये धन-संग्रह किया.परेश लाजवाब कलाकार हैं और स्व.हेमंतकुमार के आर्केस्ट्रा में बजा चुके हैं और इन दिनों कैंसर रोग से पीडि़त हैं.राजेश शहर के गुणी कलाकार हैं और उनकी इस नेक ख़याली की निश्चित रूप से प्रशंसा की जानी चाहिये कि उन्होने अपने गायन के ज़रिये शहर के एक दूसरे कलाकार के लिये सहयोग का हाथ बढा़या है.(अपडेट किया 10.07.08 को )