Thursday, July 5, 2007



दुनियाभर में दमकती सुरीली कल्पना
वे पचास की हो गयीं हैं.मालवा में पं.कुमार गंधर्व को लाकर बसाने वाले कुमारजी के अनन्य सखा मामा साहेब मुजुमदार की यशस्वी पुत्री कल्पना झोकरकर इन्दौर के संगीत को अब विश्वव्यापी पहचान देने में मसरूफ़ हैं . कल्पना ने अपने जीवन के सुरीले पचास बसंत अभी 25 जून को पूरे कर लिये.पं.भीमसेन जोशी के संयोजन में आयोजित होने वाले पुणे के सवाई गंधर्व संगीत समारोह में दो बार शिरकत कर चुकीं कल्पना को पं.जोशी की दिवंगत पत्नी वत्सला जोशी के नाम से स्थापित सम्मान की प्रथम कलाकार होने का सौभाग्य भी प्राप्त है.कल्पना की ख़ासियत यह है कि वे शास्त्रीय,सुगम,उप-शास्त्रीय,मराठी नाट्य संगीत और चित्रपट संगीत ..सभी विधाओं में लाजवाब गातीं हैं .उन्हे आकाशवाणी की राष्ट्रीय प्रतियोगिता के सुगम एवं शास्त्रीय दोनों विधाओं में पुरस्कृत होने का फ़ख्र हासिल है. कल्पना झोकरकर ख़ूब गा रहीं हैं और इनदिनों उनका ज़्यादातर समय देश के बडे़ शहर में होने वाले जलसों में बीत रहा है.वे ख़ुद तो यश पा ही रहीं हैं शहर इन्दौर की सांगीतिक पहचान को भी विस्तार दे रहीं हैं.कल्पन झोकरकर के काम और नाम को देखकर इस बात की तसल्ली होती है कि यदि कोई किसी एक विधा में लगातार काम करने की ठान ले तो वाक़ई कुछ मुश्किल नहीं हालाँकि कल्पना बेहतर बता सकतीं हैं कि उन्हे इस मुकाम तक आने के लिये क्या क्या जद्दोजहद करनी पडी़ है.लेकिन यह निर्विवाद सत्य है कि तपस्या का प्रतिफ़ल तो मिलता ही है किसी को जल्दी किसी को पचास तक आते आते ...कल्पना झोकरकर का स्वर अब सुवर्ण स्वर बने ..इन्दौरनामा की दुआएं.
आप यदि कल्पना झोकरकर को अपनी शुभकामना देना चाहें तो kalapanazokarkar@yahoo.com पर ईमेल कर सकते हैं . कभी वक़्त मिले तो उनकी वेबसाइट की सैर करें:www.kalpanazokarkar.com


2 comments:

अनुनाद सिंह said...

स्वागतम् !

विष्णु बैरागी said...

नेक काम किया है ।
मुम्‍बई के बाद इन्‍दौर ही तो वह शहर है जो किसी को नाउम्‍मीद नहीं सोने देता । यह तो सम्‍भावनाओं का शहर है ।