सदभाव था रोशन
इस मीठे शहर में
ये कौन यहॉं बो गया
दुःख-दर्द के रोपे
कौन इसे दे गया
नफ़रत के ये तोहफ़े
फूटे अब करुणा की नदी
इसकी नज़र से
अब और नहीं रोना इसे
मनहूस ख़बर से
ये व़क़्त है आओ
मिलजुल के विचारें
शांति से चलो आज
हमदर्दी उचारें
ग़ालिब की ग़ज़ल
तुलसी की चौपाई उधर से
हर एक डगर से
हर एक अधर से
इस मीठे शहर में
सदभाव हो रोशन
-नईदुनिया में प्रकाशित वरिष्ठ कवि श्री नरहरि पटेल की ताज़ा कविता.
आज विश्व रेडियो दिवस है.
4 years ago
4 comments:
हमारी भी यही दुआ है सर जी.....
यही दुआ है.
आप जैसे अमनपसन्द नागरिकों की सामूहिक इच्छा पूर्ण हो , तत्काल ।
मुझे भी इस प्रार्थना में शामिल मानें. जल्द ही अमन चैन लौटे.
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